OLA और ATHER से भी आगे निकली TVS iQUBE और बजाज Chetak की से सेल।
पिछले 32 दिन पूरे भारत वर्ष त्योहारों से भरा रहा जिसमें साल की सबसे ज़्यादा बिक्री वाहनों की होती है। इस बार दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री अक्टूबर के महीने में आसमान छू गई और 139,031 वाहन अकेले अक्टूबर में ही बिक गए।जबकि पिछले वर्ष इस त्योहार के एक महीने में 75,164 इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की बिक्री हुई थी। इस हिसाब से अक्टूबर 2024 में अक्टूबर 2023 के मुताबिक़ 85% ज़्यादा इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की बिक्री में ईयर ऑन ईयर ग्रोथ मिली है।
जबकि हम जनवरी से अक्टूबर 2024 तक के दुपहिया वाहनों की बिक्री के आंकड़ों पर नज़र डालें तो 9,54,164 हैं जो कि पिछले साल 2023 के शुरुआती 10 महीनों में 6,92,363 थे। इस हिसाब से 2024 में 2023 के मुताबिक़ दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को 38% ग्रोथ मिली है।
अगर हम भारत में दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की टॉप कम्पनी OLA electric के आंकड़े देखें तो इस कंपनी ने अकेले 41,605 इकाई मात्र Oct’24 के महीने में बेची हैI जबकि इस कंपनी ने सितंबर के महीने में 24,716 यूनिट्स बेचे थे और अगस्त महीने में 27,615 यूनिट्स बेचे थेI

इस साल अक्टूबर 2024 में TVS Motor EV ने 29,890 दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री करी है। यह आंकड़ा October 2023, में मात्र 16,507 यूनिट्स का था। इस प्रकार 2024 में TVS Motor EV ने सालाना 81% की ग्रोथ दर्ज की है।
साल 2023 में, TVS ने 166,581 iQubes गाड़ियां बेची थी, जो 94,641 यूनिट्स ज़्यादा है Bajaj Auto’s के Chetaks की 71,940 यूनिट्स की सेल से। चालू वर्ष 2024 में यह अंतर काफी कम हो गया है, जो अब 27,164 इकाई है।

“पीएम ई-ड्राइव योजना का कुल बजट 10,900 करोड़ रुपये का है, जो दो वर्षों की अवधि में फैला हुआ है। इसमें 3,679 करोड़ रुपये की सब्सिडी / मांग प्रोत्साहन शामिल है, जिसका उद्देश्य 24.79 लाख ई-दो पहिया वाहनों, 3.16 लाख ई-तीन पहिया वाहनों और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों का समर्थन करना है। इस योजना के तहत यात्री वाहनों को शामिल नहीं किया गया है। पीएम ई-ड्राइव योजना 1 अक्टूबर, 2024 से लेकर 31 मार्च, 2026 तक चलेगी।
भारत में इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहन खंड, ईवी उद्योग का सबसे बड़ा वॉल्यूम ड्राइवर है। अक्टूबर में, इसने भारत के कुल 2,17,621 ईवी इकाइयों का 64% हिस्सा लिया, जैसा कि भारत सरकार की वाहन वेबसाइट पर 1 नवंबर, 2024 तक प्रकाशित आंकड़ों में दिखाया गया है।”

“अक्टूबर 24 में इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहनों (E2Ws) की लगभग साल की सबसे अच्छी बिक्री हुई। OLA की ट्विटर विवाद का बिक्री पर बहुत ही बुरा असर पड़ा। OLA ने इसे सुधारने के लिए ‘OLA BOSS’ सेल की शुरुआत की, लेकिन इसके बावजूद ओला के लिए यह महीने की बिक्री को शानदार बनाने के लिए काफी नहीं था। ओला के लिए यह एक औसत महीना रहा, खासकर इस साल की अब तक की बिक्री को देखते हुए। एक और इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहन कंपनी Ather जो की शुरुआत दो-पहिया वाहन EV कंपनियों में से एक है, ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन यह अन्य कंपनियों की तरह अक्टूबर के महीने में उतना शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाई।
हो सकता है OLA और Ather दोनों ही भारत में EV की शुरुआती कंपनियां है तो OLA कि निगेटिव पब्लिसिटी का असर Ather पर भी दिखा। जबकि दुपहिया वाहन कंपनी जो पहले से पेट्रोल वाहन बनाने के लिए मशहूर है – TVS, बजाज और हीरो जैसी पुरानी कंपनियों के लिए यह एक शानदार बिक्री का महीना रहा। इन कंपनियों ने साल के सबसे अच्छे आंकड़े दर्ज किए और नई कंपनियों OLA/Ather की तुलना में अक्टूबर में ज्यादा E2Ws बेचे। Ampere की जो की Greaves Electric का ब्रांड है यह नाम इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहन की नई कंपनियों में शुमार है मगर इस कंपनी ने साल-दर-साल (YoY) के मुकाबले इस साल भी नकारात्मक आंकड़े दर्ज करना जारी रखा।”

जबकि बजाज का उछाल खरीदार की मानसिकता को दर्शाता है। उपभोक्ताओं की तमाम शिकायतों के बावजूद OLA से हम आश्चर्यचकित नहीं हैं। OLA बहुत सारे सेवा मुद्दों के साथ बिल्कुल विपरीत है लेकिन उत्पाद के लिए एक सर्वोत्तम हो सकता है। ऐसा लगता है कि खरीदार बजाज और टीवीएस में बँट गए हैं।
ATHER बिक्री से हमें पता चलता है कि ग्राहक आज की तारीख़ में सबसे अच्छा वाहन चाहते हैं और अधिक भुगतान करने में कोई आपत्ति नहीं करते हैं । दूसरी ओर हम ये भी देखते हैं कि ओला जैसे वाहन जहाँ सर्विस का बहुत इश्यू आता है फिर भी ग्राहक सबसे अधिक ब्रांड वैल्यू चाहते हैं और सेवा की परवाह नहीं करते हैं। नहीं हमने ये भी देखा की टीवीएस और बजाज जैसे पुराने ब्रांडों ने अपने वाहनों को सरल रखा, लेकिन वाहन की बॉडी को सॉलिड रखा और मज़बूती में कोई कंजूसी नहीं की।
दूसरी ओर, टीवीएस और बजाज जैसे पुराने ब्रांडों ने अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को साधा और सिंपल रहा है जिसमें उन्होंने पुख़्ता डिज़ाइन और गाड़ी के रिसर्च एंड डेवलपमेंट में बहुत ध्यान दिया है और गाड़ी की बिल्ट क्वालिटी का भी ख़ासा ध्यान रखा गया है। यहां तक कि नए-नवेले एथर ने भी अपने स्कूटरों के साथ बहुत अच्छा काम किया। यदि आप चेतक और ओला को कंपेयर करेंगे तो आप साफ़ पता लगा सोच रहे हैं कि ओला में बिल्ड क्वालिटी को लेकर कॉस्ट कटिंग की गई है।
सच बात तो यह है कि हर घर में स्कूटर एक रिज़र्व सेगमेंट की तरह रखा जाता है जहाँ रोज़ाना इसे चालीस किलोमीटर शहर में चलाया जाता है मैं तो बस स्कूटर के सफल होने के लिए इसकी रिंग ज़्यादा होना ज़रूरी नहीं है बल्कि मालिकों को इसे कम से कम चार्ज करना पड़े जैसे की तीन चार दिन में एक चार्ज तो वह स्कूटर सफल ताकि शिखर पर पहुँच जाएगा।